Hello Friend, Chankya Is Known For His Quotes Toward Living Life. Chankya Is Known As “Vidhvan”. He Is Indian Teacher, Philosopher, Economist, Jurist And Royal Advisor. He Know How To Work In Every Condition. Chankya Niti And Quotes Is Also Helpful For Today’s Life. You Must Have To Read Chankya Neeti Book In Hindi Or English Or Another Language.
Best Chankya Quotes and Niti In Hindi
Chanakya was born in a Brahmin family. Chanakya’s birthplace is a matter of controversy,According to the Buddhist his birthplace was Takshashila. According to The Jain, he was From a native of South India. According to the Jain Auther Hemachandra, Chanakya was born in the Chanaka village of the Golla region. Chanakya was educated From Takshashila. He Is Indian Teacher, Philosopher, Economist, Jurist And Royal Advisor. Chankya is known for his neeti Shastra.
If some person following Chankya neeti then he is never panic in life’s any problem to get success. All Chankya Neeti is Big Storage of Knowledge. Complete Chankya Neeti and Quotes Available Here.
Awesome Chankya Neeti, Chankya Quotes Helpful For Life
- “कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा. और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढिए.”
- “आदमी को कभी भी सीधा और सरल नहीं होना चाहिए। जंगल में जो पेड़ सीधे, चिकने होते हैं और जिन्हें काटने में कठिनाई नहीं होती, उन्हें ही सबसे पहले काटा जाता है”
- “अगर सांप जहरीला ना भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए.”
- “दुष्ट पत्नी, झूठा मित्र, बदमाश नौकर और सर्प के साथ निवास साक्षात् मृत्यु के समान है।”
- “जब तक आपका शरीर स्वस्थ और नियंत्रण में है और मृत्यु दूर है, अपनी आत्मा को बचाने कि कोशिश कीजिये; जब मृत्यु सर पर आजायेगी तब आप क्या कर पाएंगे?”
- “व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है; और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है; और वह अकेले ही नर्क या स्वर्ग जाता है.”
- ” जो पुरुष अपने वर्ग में उदारता, दूसरे के वर्ग पर दया, दुर्जनों के वर्ग में दुष्टता, उत्तम पुरुषों के वर्ग में प्रेम, दुष्टों से सावधानी, पंडित वर्ग में कोमलता, शत्रुओं में वीरता, अपने बुजुर्गो के बीच में सहनशक्ति,स्त्री वर्ग में धूर्तता आदि कलाओं में चतुर है, ऐसे ही लोगो में इस संसार की मर्यादा बंधी हुई है।”
- “इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये.”
- ” शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है. शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है.”
- “अच्छा मित्र वही है जो हमे निम्नलिखित परिस्थितियों में नहीं त्यागे:
आवश्यकता पड़ने पर,
किसी दुर्घटना पड़ने पर,
जब अकाल पड़ा हो,
जब युद्ध चल रहा हो,
जब हमे राजा के दरबार मे जाना पड़े,
और जब हमे समशान घाट जाना पड़े। “
- “साधु अर्थात महान लोगो के दर्शन करना पुण्य तीर्थो के समान है। तीर्थाटन का फल समय से ही प्राप्त होता है, परन्तु साधुओं की संगति का फल तत्काल प्राप्त होता है।”
- “सत्य मेरी माता है, पिता मेरा ज्ञान है, धर्म मेरा भाई है, दया मेरी मित्र है, शांति मेरी पत्नी है और क्षमा मेरा पुत्र है, ये छः मेरे बंधु-बांधव है।”
- “जैसे ही भय आपके करीब आये, उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये.”
- “हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए; विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं.”
- “जो व्यक्ति कसी नाशवंत चीज के लिए कभी नाश नहीं होने वाली चीज को छोड़ देता है, तो उसके हाथ से अविनाशी वस्तु तो चली ही जाती है और इसमे कोई संदेह नहीं की नाशवान को भी वह खो देता है।”
- “पृथ्वी सत्य की शक्ति द्वारा समर्थित है; ये सत्य की शक्ति ही है जो सूरज को चमक और हवा को वेग देती है; दरअसल सभी चीजें सत्य पर निर्भर करती हैं.”
- ” जो व्यक्ति दूसरे की स्त्री को माता के समान, दूसरे के धन को ढेले (कंकड़) के समान और सभी जीवों को अपने समान देखता है, वही पंडित है, विद्वान है।”
- “इन ५ पर कभी विश्वास ना करें :
१. नदियां,
२. जिन व्यक्तियों के पास अश्त्र-शस्त्र हों,
३. नाख़ून और सींग वाले पशु,
४. औरतें (यहाँ संकेत भोली सूरत की तरफ है, बहने बुरा न माने )
५. राज घरानो के लोगो पर।”
- “धन और अन्न के व्यवहार में, विद्या ग्रहण करने में, भोजन करने में और व्यवहार में जो व्यक्ति लज्जा नहीं रखता, वह सदैव सुखी रहता है”
- “सारस की तरह एक बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए और अपने उद्देश्य को स्थान की जानकारी, समय और योग्यता के अनुसार प्राप्त करना चाहिए.”
- ” महिलाओं में पुरुषों कि अपेक्षा:
भूख दो गुना,
लज्जा चार गुना,
साहस छः गुना,
और काम आठ गुना होती है।”
- “मनुष्य के अधर्म रूपी वृक्ष (अर्थात शरीर) के फल —–दरिद्रता, रोग, दुःख, बंधन (मोह-माया), व्यसन आदि है।”
- “चिंता करने वाले व्यक्ति के मन में चिंता उत्पन्न होने के बाद की जो स्थिति होती है अर्थात उसकी जैसी बुद्धि हो जाती है, वैसी बुद्धि यदि पहले से ही रहे तो भला किसका भाग्योदय नहीं होगा।”
- “दुष्टो का साथ त्यागों, सज्जनों का साथ करो, रात-दिन धर्म का आचरण करो और प्रतिदिन इस नित्य संसार में नित्य परमात्मा के विषय में विचार करो, उसे स्मरण करो।”
- “मूढ़ लोग बुद्धिमानो से इर्ष्या करते है. गलत मार्ग पर चलने वाली औरत पवित्र स्त्री से इर्ष्या करती है. बदसूरत औरत खुबसूरत औरत से इर्ष्या करती है.”
- “दान गरीबी को ख़त्म करता है. अच्छा आचरण दुःख को मिटाता है. विवेक अज्ञान को नष्ट करता है. जानकारी भय को समाप्त करती है.”
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